अपनी अपनी आजादी
देश की आजादी के 70 साल बाद भी देश की जनता में अपनी अपनी आजादी की जंग धड़ल्ले से जारी है। सबको आजादी चाहिये किसी को आतंक से तो किसी को मुसलमानों से, किसी को आरक्षण से तो किसी को भेदभाव से, किसी को भ्रष्टाचार से तो कुछ नेताओं और कर्मचारियों को ईमानदार अधिकारियों से, किसी को 56 इंच से आजादी चाहिये तो किसी को कांग्रेस मुक्त भारत चाहिए, किसी को महंगे सामान से आजादी चाहिये तो किसी को चीन में बने सामान से। चीन को डोकलाम चाहिये, पाकिस्तान को कश्मीर चाहिये, पार्टियों को सत्ता चाहिये, आम आदमी को बढी हुई सेलरी चाहिये और गरीब को सस्ता राशन चाहिये। कुछ को गौमाता की भी आजादी चाहिये ये क्रान्तिकारी टाइप लोग हैं ये केवल शक होने पर भी की आप गौमाता को परेशान करते हैं आपकी टांगे तोड़ कर हाथ में दे सकते हैं और इनकी एक दूसरी ब्रांच भी है जिसका कार्य ही इसी तरह छापा मारकर ऐसा अनुमान लगा कर की कुछ लोग गलत कार्य कर रहे हैं उन लोगों को दण्ड देना है। ये दण्ड परिस्थितियों और राष्ट्रभक्तों के मूड पर भी निर्भर करता है। अगर आप पार्क में किसी लड़की के साथ बैठे हैं तो या तो आप को राखी बंधवाकर भी छोड़ा जा सकता है और यदि इनकी अपनी गर्लफ्रेण्ड से लड़ाई हुई हो या घर में निकम्मेपन की गालियो खाकर आये हों तो ये समाज सुधारक आपको जमकर कूट भी सकते हैं। समाज को नयी दिशा देने के प्रयास में इन जोशीले युवाओं की तत्परता देखते ही बनती है। इन जोशीले युवाओं को देश एवं प्रदेश स्तर पर सरकार ने संस्कृति मंत्रालय में संस्कृति संरक्षण अनुभाग बना कर जिम्मेदारी भरे पद प्रदान करने चाहिए ताकि राष्ट्र और अन्य युवाओं की संस्कृति व सभ्यता का ध्यान रखने वाले इन वीर युवाओं को इनके परिवार वालों तथा गर्लफ्रेण्ड द्वारा दिये जाने वाले बेरोजगारी के तानों से बचाया जा सके तथा फिर ये बिना झिझक के हथियारों के साथ कहीं भी जा सकें तथा पार्क में बैठे या बाजार घूम रहे लड़के लड़कियों को अलग अलग करके धर्म एवं संस्कृति की रक्षा कर सकें। जब देश के अंदर धर्म और संस्कृति की रक्षा होगी तभी तो सीमा भी सुरक्षित रहेगी। इन कर्मठ युवाओं की तरह ही आजकल एक और दल बिगड़ रही युवा पीढी को सम्हालने का जिम्मा ले चुका है इन्हे लोग चोटी कटवा भी कह रहे हैं। लोग इस दल के अलग अलग उद्देश्य बता कर जनता को दिग्भ्रमित कर रहे हैं पर वास्तव में ये भी युवा पीढी को सही मार्ग पर ले जाने के लिए अडिग जज्बाती युवा हैं। सुंदर बाल (केश) युवतियों और महिलाओं की षान हैं दिन का काफी समय ये बालों को सजाने संवारने में बर्बाद करते हैं जिससे देश का काफी अमूल्य समय इन बालों के पीछे ही निकल जाता हैं फिर युवा मनचले भी जुल्फों को लेर कई रोमांटिक गाने गाते हुए देखे जा सकते हैं। ऐसे मंे देश धर्म व संस्कृति को सर्वोच्च रखते हुए ये दल अपने जान की परवाह न करते हुए युवतिओं और महिलाओं के बालों को काटने के लिए जी जान लगा रहा है और देश को केशलैश बना रहा है। ताकी देश का समय और इन मनचले युवाओं का भविष्य बचा सकें। देश हित में समय की मांग के अनुसार ऐसे कई कड़े निर्णय भी लेने पड़ते हैं। अभी हाल ही में ऐसा ही एक कड़ा निर्णय लेते हुए नितीश कुमार ने सरकार बदलते हुए पुनः मुख्यमंत्री का पद सम्भाला है। सिर्फ देशभक्ति और ईमानदारी की वजह से ही वो इतना बड़ा निर्णय ले सके।
पंचेश्वर बांध के बारे में स्थानीय लोग कह रहे की हमें बांध नहीं चाहिये, सरकार कह रही है बांध वहीं बनेगा। पहाड़ में लोग कह रहे हैं हमें शराब नहीं चाहिये सरकार कह रही है विरोध करोगे तो घर घर में आकर बांट देंगे। इससे बेहतर समय भी कभी आ सकता है क्या जब लेने वाला मना करे की हमें नहीं चाहिये और देने वाला जबरन देता जाये। इससे ज्यादा आजादी क्या लोगे।
वैसे जब तक हमारे पास फेसबुक और व्हट्सएप में ग्रेंड मास्टर शिफूजी जैसे जांबाज मौजूद हैं जब तक जंग में हमें सोशल मीडिया के अंदर कोई नहीं हरा सकता। और भी लाखों की तादाद में युवा सोशल मीडिया में चीन और पाकिस्तान से लोहा लेने और लहू बहा देने को तैयार बैठे हैं पर शर्त सिर्फ इतनी है कि युद्ध भी सोशल मीडिया में हो। और रही देशभक्ति की बात वो तो हममें कूट कूट के भरी है जहां चाहे वंदे मातरम कहलवा के प्रूफ करवा लो।
देश की आजादी के 70 साल बाद भी देश की जनता में अपनी अपनी आजादी की जंग धड़ल्ले से जारी है। सबको आजादी चाहिये किसी को आतंक से तो किसी को मुसलमानों से, किसी को आरक्षण से तो किसी को भेदभाव से, किसी को भ्रष्टाचार से तो कुछ नेताओं और कर्मचारियों को ईमानदार अधिकारियों से, किसी को 56 इंच से आजादी चाहिये तो किसी को कांग्रेस मुक्त भारत चाहिए, किसी को महंगे सामान से आजादी चाहिये तो किसी को चीन में बने सामान से। चीन को डोकलाम चाहिये, पाकिस्तान को कश्मीर चाहिये, पार्टियों को सत्ता चाहिये, आम आदमी को बढी हुई सेलरी चाहिये और गरीब को सस्ता राशन चाहिये। कुछ को गौमाता की भी आजादी चाहिये ये क्रान्तिकारी टाइप लोग हैं ये केवल शक होने पर भी की आप गौमाता को परेशान करते हैं आपकी टांगे तोड़ कर हाथ में दे सकते हैं और इनकी एक दूसरी ब्रांच भी है जिसका कार्य ही इसी तरह छापा मारकर ऐसा अनुमान लगा कर की कुछ लोग गलत कार्य कर रहे हैं उन लोगों को दण्ड देना है। ये दण्ड परिस्थितियों और राष्ट्रभक्तों के मूड पर भी निर्भर करता है। अगर आप पार्क में किसी लड़की के साथ बैठे हैं तो या तो आप को राखी बंधवाकर भी छोड़ा जा सकता है और यदि इनकी अपनी गर्लफ्रेण्ड से लड़ाई हुई हो या घर में निकम्मेपन की गालियो खाकर आये हों तो ये समाज सुधारक आपको जमकर कूट भी सकते हैं। समाज को नयी दिशा देने के प्रयास में इन जोशीले युवाओं की तत्परता देखते ही बनती है। इन जोशीले युवाओं को देश एवं प्रदेश स्तर पर सरकार ने संस्कृति मंत्रालय में संस्कृति संरक्षण अनुभाग बना कर जिम्मेदारी भरे पद प्रदान करने चाहिए ताकि राष्ट्र और अन्य युवाओं की संस्कृति व सभ्यता का ध्यान रखने वाले इन वीर युवाओं को इनके परिवार वालों तथा गर्लफ्रेण्ड द्वारा दिये जाने वाले बेरोजगारी के तानों से बचाया जा सके तथा फिर ये बिना झिझक के हथियारों के साथ कहीं भी जा सकें तथा पार्क में बैठे या बाजार घूम रहे लड़के लड़कियों को अलग अलग करके धर्म एवं संस्कृति की रक्षा कर सकें। जब देश के अंदर धर्म और संस्कृति की रक्षा होगी तभी तो सीमा भी सुरक्षित रहेगी। इन कर्मठ युवाओं की तरह ही आजकल एक और दल बिगड़ रही युवा पीढी को सम्हालने का जिम्मा ले चुका है इन्हे लोग चोटी कटवा भी कह रहे हैं। लोग इस दल के अलग अलग उद्देश्य बता कर जनता को दिग्भ्रमित कर रहे हैं पर वास्तव में ये भी युवा पीढी को सही मार्ग पर ले जाने के लिए अडिग जज्बाती युवा हैं। सुंदर बाल (केश) युवतियों और महिलाओं की षान हैं दिन का काफी समय ये बालों को सजाने संवारने में बर्बाद करते हैं जिससे देश का काफी अमूल्य समय इन बालों के पीछे ही निकल जाता हैं फिर युवा मनचले भी जुल्फों को लेर कई रोमांटिक गाने गाते हुए देखे जा सकते हैं। ऐसे मंे देश धर्म व संस्कृति को सर्वोच्च रखते हुए ये दल अपने जान की परवाह न करते हुए युवतिओं और महिलाओं के बालों को काटने के लिए जी जान लगा रहा है और देश को केशलैश बना रहा है। ताकी देश का समय और इन मनचले युवाओं का भविष्य बचा सकें। देश हित में समय की मांग के अनुसार ऐसे कई कड़े निर्णय भी लेने पड़ते हैं। अभी हाल ही में ऐसा ही एक कड़ा निर्णय लेते हुए नितीश कुमार ने सरकार बदलते हुए पुनः मुख्यमंत्री का पद सम्भाला है। सिर्फ देशभक्ति और ईमानदारी की वजह से ही वो इतना बड़ा निर्णय ले सके।
पंचेश्वर बांध के बारे में स्थानीय लोग कह रहे की हमें बांध नहीं चाहिये, सरकार कह रही है बांध वहीं बनेगा। पहाड़ में लोग कह रहे हैं हमें शराब नहीं चाहिये सरकार कह रही है विरोध करोगे तो घर घर में आकर बांट देंगे। इससे बेहतर समय भी कभी आ सकता है क्या जब लेने वाला मना करे की हमें नहीं चाहिये और देने वाला जबरन देता जाये। इससे ज्यादा आजादी क्या लोगे।
वैसे जब तक हमारे पास फेसबुक और व्हट्सएप में ग्रेंड मास्टर शिफूजी जैसे जांबाज मौजूद हैं जब तक जंग में हमें सोशल मीडिया के अंदर कोई नहीं हरा सकता। और भी लाखों की तादाद में युवा सोशल मीडिया में चीन और पाकिस्तान से लोहा लेने और लहू बहा देने को तैयार बैठे हैं पर शर्त सिर्फ इतनी है कि युद्ध भी सोशल मीडिया में हो। और रही देशभक्ति की बात वो तो हममें कूट कूट के भरी है जहां चाहे वंदे मातरम कहलवा के प्रूफ करवा लो।
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