Skip to main content

Posts

Showing posts from June, 2017
                                     पिया हमारे लल्लनटाॅप                 शादी के बाद से हमारे वो काफी बदल गये हैं। पहले बताया था शराब नहीं पीते हैं, बीड़ी सिगरेट का शौक नहीं है, गुटखा को हाथ भी नहीं लगाते और अच्छा कमा लेते हैं। पर शादी के बाद पता चला कि मोहल्ले में अक्सर पानी की किल्लत रहती है। बाल्टियां हाथ में लिए सरकारी नल के आगे खड़े खड़े रातें बीतती हैं तो पिया जी इस किल्लत को दूर करने के लिए पानी कम मिला कर शराब ज्यादा पी लेते हैं। मोहल्ला ज्यादा बड़ा नहीं है तो पियाजी को ढूंढने में बहुत ज्यादा मेहनत भी नहीं लगती, कभी उनका कोई सखा तो कभी मोहल्ले के केाई भले बच्चे दरवाजे तक घसीट कर देहली पर लिटा जाते हैं वरना तो कभी कभी अपने दम पर भी घर पंहुचते ही हैं। वैसे सही बात है बाड़ी सिगरेट का उन्हे शौक नही है, बल्कि लत है। 2 3 बंडल खतम कर देना शौक नहीं होता जुनून कहलाता है। हमारे इनके लिए तो सारी कायनात एक तरफ बीड़ी चाय एक तरफ। हमारे ये बताते हैं कि ‘हम ...
समरथ को नहीं दोष गुसांई उत्तराखण्ड में आज कई पर्वतीय जपनदों में आम जनजीवन की परिस्थितियां इतनी जटिल हो चुकी है जिसका सरकार शायद कोई अनुमान ही नहीं लगा पा रही है या लगाना ही नहीं चाह रही है। हर गांव, हर शहर के चैराहों में महिलाओं व क्षेत्रवासियों द्वारा शराब के विरोध में प्रदर्शन किये जा रहे हैं वहीं प्रदेश सरकार द्वारा इस विरोध पर आंख बन्द करते हुए आबकारी विभाग से विगत वर्ष की प्राप्त आय 1900 करोड़ को इस वर्ष बढाकर 2300 करोड़ करने का लक्ष्य रखा गया है।  16 वर्षों में 9 मुख्यमंत ्री देख चुके उत्तराखण्ड में इस बार पूर्ण बहुमत से आई सरकार के लिए इस बार अच्छा अवसर था कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आधार पर अधिकांश जनता को सन्तुष्ट करते हुए नेशनल हाईवेज व स्टेट हाईवेज से शराब की दुकानों व बीयर बार को दूर कर दिया जाता परन्तु तुरन्त नया शासनादेश लाते हुए 64 स्टेट हाईवेज को जिला मार्गाें में तब्दील करने का फरमान सुना दिया गया। इसके बाद भी बची हुई शराब की दुकानें जिन्हें राष्ट्रीय राजमार्गों में आने के कारण 500 मीटर से दूर स्थापित किया जाना है उन्हें विस्थापित करने में प्रशासन की सांसे फूल रही...