आओ कभी गुफाओं में हर युग में भगवान पाप का भार बढ़ जाने पर उसके नाश के लिए अवतार लेते रहे हैं पर पाप का नाश करने के लिए पाप का बढना भी जरूरी है। अगर हर आदमी रोज सुबह आॅफिस या काम को जाये और शाम को घर आके टीवी पे बैठ जाये तो खाक पाप बढेगा और ऐसे निष्क्रिय लोगों के भरोसे बैठे रहें फिर तो हो गया भगवान का अवतार। भगवान के अवतरण होने में आनी वाली इन्ही समस्याओं के चलते ही कलियुगी बाबा लोगों ने ये जिम्मेदारी अपने सर पर उठा ली है कि भगवान के अवतरण के लिए माहौल वे लोग स्वयं तैयार कर के देंगे। हम अज्ञानी लोग समझ नहीं पा रहे हैं पर कलयुग में अपने को भगवान का अवतार बताने वाले ये बाबा जी लोग भगवान को अवतरित करने के प्रयास में ही लगे हैं, क्योंकि जब तक त्राहीमाम् ना हो भगवान धरती पर आके मारेंगे और तारेंगे किसको, ऐसे ही किसी को मार देने पर तो धारा 302 भी लग सकती है भगवान पर। कुछ तो हो भगवान के करने के लिए धरती पर। अगर त्रेता में रावण और बाकी राक्षस नहीं होते...