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ं     अच्छा चलता हूं, चुनावों में याद रखना
  पिछले बार के चुनावों में दिखे नेता जी लोग एक बार फिर लोगों के दर्षन के लिए उपलब्ध हो चुके हैं। प्र्याप्त समय और पर्याप्त घोशणाओं के साथ पूरे न हो सके सपनों की एक लिस्ट भी मौजूद है जो पिछले कार्यकाल में या इस दरम्यान विपक्षियों के शड़यन्त्रों के कारण पूरी नहीं हो सकी थी पर इस बार जरूर पूरी होनी है। इस बार हर गांव में रोड आ जानी है और पानी भी हर गांव घर में आ जायेगा। लाइट की कोई समस्या अब नहीं रहेगी। हांॅस्पिटल और स्कूल में अब अच्छी सुविधाऐं मिलेंगी और ये सब चमत्कार कौन करेगा ? आप लोग। हम लोग, वो कैसे ? फलां नेता जी को अपना अमूल्य मत देकर। नेताजी की पहुंच बहुत ऊपर तक है। आपका लड़का क्या कर रहा है? बेरोजगार है, नेता जी से मिल लो, लड़के की नौकरी भी लगा देंगे। ऐसे ही दिलखुष सब्जबाग दिखाते नेतागण इस बीच दिखते रहेंगे और इन दिवास्वप्नों में उड़ने के लिए हम लोगों के पास दो माह का पर्याप्त समय है। साल के कुछ समय आदमी ने खुष भी रहना चाहिये। स्वास्थ्य सही रहता है और सकारात्मक विचार आते रहते हैं। षायद इसी सोच को मध्येनजर रखते हुए भारत में हर वर्श कभी लोकसभा, कभी विधानसभा, कभी पंचायत तो कभी पालिका, निगम आदि चुनाव समय समय पर कराये जाते रहते हैं फिर बीच बीच में विभिन्न संगठनों के चुनाव भी होते रहते हैं जिससे लोगों में पुनः पुनः नयी आषाओं का संचार होते रहता है और दिल में आने वाले सकारात्मक विचारों में कोई कमी नहीं आने पाती। लोगों के प्रषन्न, आषावान एवं स्वस्थ्य रहने में ही सरकार की सफलता है। और वैसे भी वर्तमान में कई बेरोजगारों के लिए रोजगार का मनरेगा से ज्यादा बेहतर साधन तो चुनाव हो चुके हैं जिसमें पैसा नकद मिलता है मनपसंद खानपान की भी व्यवस्था कुछ नारे लगाने से हो जाती है। बेरोजगाारी तो वर्श के अन्य महिनों में परेषान करती है इस समय तो नकद भुगतान और भोजन में मीट मांस के साथ साथ भविश्य में रोजगार के सपने भी परोसे जाते हैं। डूबते को तिनके का सहारा काफी होता है। भविश्य की चिंता से मुक्ति के लिए इतनी उम्मीद काफी होती है। हम तो अपने घर की चहारदीवारी से टेक लगाई गाय को देखकर ही घी के दाम बढाने घटानेे तक की सोच लेते हैं, चुनावों में तो फिर भी एक आदमी हम को भरोसा दे कर जाता है। पहले जनता नेता के पीछे, अब नेता जनता के पीछे, टू मच फन।
चुनावों के दौर में नेतागण तो जागते ही हैं साथ ही साथ जनता भी जाग जाती है। हर बार चुनावों में लोग कहते सुनते मिलते हैं कि अब जनता जाग गई है। जनता को जगाने में न्यूज चैनल, प्रिंट मीडिया के साथ ही सोषल मीडिया का भी हाथ है। हर मीडिया में आॅपरेटर अपनी अपनी तरह से जनता को जगाता है। पार्टियों से अपने अपने एग्रीमेंट के हिसाब से सर्वे, न्यूज, प्रत्याषियों की लोकप्रियता आदि को जनता के सामने रखा जाता है ताकि हम उनके हिसाब से जागंे, और उन्ही के दिखाये सपने देखें। इस बार तो सुनने में आ रहा है कि चुनाव के बाद पर्ची भी मिलेगी और पता चल जायेगा कि किसको वोट डाला। अब जाकर ये तंत्र विकसित हो सका है कि चुनाव में लगे पैसों की पूरी वसूली हो सकेगी। प्रत्याषी एजेंटों से कह सकेंगे पैसे लिए हैं तो पर्ची दिखाओ। आखिर ईमानदारी हर काम में जरूरी है। बेईमानी अब कहीं भी और किसी भी हाल में बर्दाषस्त नहीं की जायेगी, मित्रो। ये चुनावी दौर भी गुजर जायेगा फिर अपने साथ किये गये चुनावी वादे याद आने पर नेताओं के इस गाने की गूंज हमारे कानों में सुनाई देगी-
अच्छा चलता हूँ, दुवाओं में याद रखना।
अगली बार फिर दिखेंगे, चुनावों में याद रखना।।
अच्छा चलता हूंए चुनावों में याद रखना
  पिछले बार के चुनावों में दिखे नेता जी लोग एक बार फिर लोगों के दर्शन के लिए उपलब्ध हो चुके हैं। प्र्याप्त समय और पर्याप्त घोषणाओं के साथ पूरे न हो सके सपनों की एक लिस्ट भी मौजूद है जो पिछले कार्यकाल में या इस दरम्यान विपक्षियों के षड़यन्त्रों के कारण पूरी नहीं हो सकी थी पर इस बार जरूर पूरी होनी है। इस बार हर गांव में रोड आ जानी है और पानी भी हर गांव घर में आ जायेगा। लाइट की कोई समस्या अब नहीं रहेगी। हांॅस्पिटल और स्कूल में अब अच्छी सुविधाऐं मिलेंगी और ये सब चमत्कार कौन करेगा घ् आप लोग। हम लोगए वो कैसे घ् फलां नेता जी को अपना अमूल्य मत देकर। नेताजी की पहुंच बहुत ऊपर तक है। आपका लड़का क्या कर रहा हैघ् बेरोजगार हैए नेता जी से मिल लोए लड़के की नौकरी भी लगा देंगे। ऐसे ही दिलखुश सब्जबाग दिखाते नेतागण इस बीच दिखते रहेंगे और इन दिवास्वप्नों में उड़ने के लिए हम लोगों के पास दो माह का पर्याप्त समय है। साल के कुछ समय आदमी ने खुश भी रहना चाहिये। स्वास्थ्य सही रहता है और सकारात्मक विचार आते रहते हैं। शायद इसी सोच को मध्येनजर रखते हुए भारत में हर वर्ष कभी लोकसभाए कभी विधानसभाए कभी पंचायत तो कभी पालिकाए निगम आदि चुनाव समय समय पर कराये जाते रहते हैं फिर बीच बीच में विभिन्न संगठनों के चुनाव भी होते रहते हैं जिससे लोगों में पुनः पुनः नयी आशाओं का संचार होते रहता है और दिल में आने वाले सकारात्मक विचारों में कोई कमी नहीं आने पाती। लोगों के प्रशन्नए आशावान एवं स्वस्थ्य रहने में ही सरकार की सफलता है। और वैसे भी वर्तमान में कई बेरोजगारों के लिए रोजगार का मनरेगा से ज्यादा बेहतर साधन तो चुनाव हो चुके हैं जिसमें पैसा नकद मिलता है मनपसंद खानपान की भी व्यवस्था कुछ नारे लगाने से हो जाती है। बेरोजगाारी तो वर्ष के अन्य महिनों में परेशान करती है इस समय तो नकद भुगतान और भोजन में मीट मांस के साथ साथ भविष्य में रोजगार के सपने भी परोसे जाते हैं। डूबते को तिनके का सहारा काफी होता है। भविष्य की चिंता से मुक्ति के लिए इतनी उम्मीद काफी होती है। हम तो अपने घर की चहारदीवारी से टेक लगाई गाय को देखकर ही घी के दाम बढाने घटानेे तक की सोच लेते हैंए चुनावों में तो फिर भी एक आदमी हम को भरोसा दे कर जाता है। पहले जनता नेता के पीछेए अब नेता जनता के पीछेए टू मच फन।
चुनावों के दौर में नेतागण तो जागते ही हैं साथ ही साथ जनता भी जाग जाती है। हर बार चुनावों में लोग कहते सुनते मिलते हैं कि अब जनता जाग गई है। जनता को जगाने में न्यूज चैनलए प्रिंट मीडिया के साथ ही सोशल मीडिया का भी हाथ है। हर मीडिया में आॅपरेटर अपनी अपनी तरह से जनता को जगाता है। पार्टियों से अपने अपने एग्रीमेंट के हिसाब से सर्वेए न्यूजए प्रत्याषियों की लोकप्रियता आदि को जनता के सामने रखा जाता है ताकि हम उनके हिसाब से जागंेए और उन्ही के दिखाये सपने देखें। इस बार तो सुनने में आ रहा है कि चुनाव के बाद पर्ची भी मिलेगी और पता चल जायेगा कि किसको वोट डाला। अब जाकर ये तंत्र विकसित हो सका है कि चुनाव में लगे पैसों की पूरी वसूली हो सकेगी। प्रत्याशी एजेंटों से कह सकेंगे पैसे लिए हैं तो पर्ची दिखाओ। आखिर ईमानदारी हर काम में जरूरी है। बेईमानी अब कहीं भी और किसी भी हाल में बर्दाशस्त नहीं की जायेगीए मित्रो। ये चुनावी दौर भी गुजर जायेगा फिर अपने साथ किये गये चुनावी वादे याद आने पर नेताओं के इस गाने की गूंज हमारे कानों में सुनाई देगी.
अच्छा चलता हूँए दुवाओं में याद रखना।
अगली बार फिर दिखेंगेए चुनावों में याद रखना।।

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