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कहां उड़े रे मन के पंछी, नीचे आजा कल खबरों में सुना कि ये अमेरिका वाले पाकिस्तान और हमारे बीच में मध्यस्थ्ता कराने की बात कह रहे हैं। अब ऐसे दिन आ गये हैं क्या कि ये हमें सिखायेंगे। कोई इनको बता दो कि हमारे अच्छे दिन चल रहे हैं, जितने का उनका नया आईफोन 11 लांच हुआ है उससे ज्यादा का तो हम अपनी गाड़ियों का ट्रेफिक चालान ही भर रहे हैं, और बोलो ट्रम्प चचा। तुम रहते होगे मंदी, बेरोजगारी, अव्यवस्था, भ्रष्टाचार, बेतुके बयान, महंगाई जैसे समस्याओं से दुखी तो ये तुम्हारे दुख तुमको मुबारक , हम इक्कीसवीं सदी के भारत हैं जैसे ही समस्याओं के बारे में विचार आने शुरू होते हैं न्यूज चैनल लगा लेते है। थोड़ी देर में सारे एंकर मिल कर हमको समझा देते हैं कि देशहित में कुछ बलिदान भी करना पड़ता है और आधे घंटे के अंदर ही हमारे सिर से सारी समस्याओं का बोझ हट जाता है और हम एक देशभक्त के रूप में खुद को पाते हैं। क्या आपके देश में हैं इतने समझदार और देशभक्त न्यूज चैनल। बात करते हैं। परसों एक देशद्रोही कह रहा था कि यार शहर में पार्किंग की पर्याप्त जगहें ही नहीं है तो क्या ये नो पार्किग का इतना ज्यादा चालान ज्...
हो रहा ये प्रचार है, तू इंसान नहीं अवतार है। संजू बाबा ने मुन्ना भाई में बोला था ‘बोले तो, बेड़ू लोग एक मस्त जादू की झप्पी देने का, सब काम हो जायेगा‘। शायद राहुल गांधी ने भी अपने अटके हुए काम के लिए कई टोटके किये, सारे फार्मूले ट्राई कर लिए, मनमोहन के अर्थशास्त्र से लेकर, दिग्गी के समाजशास्त्र और केजरीवाल के राजनीतिशास्त्र आजमाने के बाद भी जब कोई विशेष सफलता नहीं मिली तो संजू बाबा वाली गांधीगिरी अपनाने का तरीका मन को भा गया। वैसे राहुल जी संजू की हर फिल्म जरूर देखते हैं उनका कहना है ‘‘संजू को लोग बाबा कहकर पुकारते हैं, मुझे भी प्यार से कई लोग बाबा ही कहते हैं तो फिल्म एक बार देखना तो बनता है ना बाबा। फिर मुझे मुन्ना भाई की सबसे अच्छी बात लगी की उसमें गांधीगिरी से काम होता है, अब जबकी मैं तो आॅलरेडी गांधी हूं तो मुझे तो गिरी की जरूरत ही नहीं। जादू की झप्पी का मैं बहुत बड़ा फैन हूं। इसे सीखने में कई वर्ष लगाये हैं तब जाकर मैंने संसद में इसका प्रेक्टिकल किया। और मेरी इस झप्पी परफारमेन्स को मेरे सभी साथियों ने सराहा। सिब्बल साहब और राज बब्बर जी ने तो यहां तक कहा कि ‘ झप्पी देखकर रामाय...